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बीएचयू में मचे बवाल को क्या अब राजनीतिक रंग दिया जा रहा है



नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एक छात्रा से हुई छेड़छाड़ ने ऐसा तूल पकड़ा कि घटना के चार दिन बीतने के बाद भी स्थिति पूरी तरह संभली नहीं है। छात्रा की शिकायत को बीएचयू प्रशासन की तरफ से शुरुआत में अनदेखी करने और बाद में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स पर पुलिसिया लाठीचार्ज के बाद स्थिति ऐसी बेकाबू हुई कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरे मामले में दखल देना पड़ा। उधर, इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी के सीएम से बात की।
हालांकि, बीएचयू में हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उसे सोमवार से छुट्टी कर दी गई है जो अब नवरात्रों की अवकाश के बाद छह अक्टूबर को खुलेगा। इस बीच रविवार को विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से हॉस्टल खाली करने का आदेश दे दिया गया है।उधर बीएचयू छेड़छाड़ मामले में लंका के थाना प्रभारी समेत कई पुलिसवालों पर भी गाज गिरी है।
छेड़छाड़ और प्रशासन का रवैया निंदनीय
इसी के साथ ही अब पूरे मामले पर सियासत भी तेज़ हो गई है। दैनिक जागरण की खास चर्चा में जागरण के एसोसिएट एडिटर गंगेश मिश्रा ने बताया कि ये जो छेड़खानी की घटना हुई है वो काफी निंदनीय है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन की भी निंदा होनी चाहिए जिसने समय रहते हुए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। उन्होंने बताया कि एक छोटी सी घटना को प्रधानमंत्री के दौरे से जोड़कर राष्ट्रीय घटना बना दिया गया।
घटना पर राजनीति होना स्वाभाविक
जागरण के एसोसिएट एडिटर राजीव सचान ने बताया कि ऐसी घटना पर राजनीति होना काफी स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि चूंकि ये प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में आता है और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का मामला है। लिहाजा उसकी ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति हो रही है बल्कि कुछ लोग इसे जरुरत से ज्यादा खींच रहे हैं और ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो बनारस से जुड़ी ही नहीं है। और उस फोटो के जरिए दूसरे देशों के लोग भारत में लोकतंत्र के ऊपर सवाल उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस घटना को रोका जा सकता था अगर छात्राओं की शिकायत को समय रहते हुए वॉर्डन, वीसी और जिला प्रशासन सतर्कता और तत्परता से कदम उठाए होते। राजीव सचान ने कहा कि सारे राजनीतिक दल उन लड़कियों के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं। तमाम छात्रों के संगठन भी खड़े हो गए हैं। जबकि, लड़कियों को छात्रों से ही शिकायत थी और इसके लिए उन्होंने खत भी लिखा था।
लड़कियों की बात नहीं सुनने पर विद्रोह तो होगा
जबकि, सखी मैग्जीन के असिस्टेंट एडिटर इंदिरा राठौड़ ने बताया कि लड़कियों ने अगर कोई डिमांड रखी थी कि सुरक्षा गार्ड होने चाहिए, सीसीटीवी होने चाहिए जो एक वाजिब मांग थी। ऐसे में समय रहते हुए अगर वीसी ने सुन लिया होता तो ये घटना नहीं होती। उन्होंने कहा कि डीयू में भी आंदोलन हुआ है। इसलिए, बीएचयू को अपवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर लड़कियों की बातें नहीं सुनेंगे तो विद्रोह तो होगा।
 
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