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जलालाबाद दौरे पर उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल के हेलीकाप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग का कारण ट्रिम एक्यूवेटर वायर टूट जाना था। डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने इस मामले में जांच रिपोर्ट पंजाब सरकार को सौंप दी है।
खास बात यह है कि हेलीकाप्टर में महिला को पायलट की योग्यता पर पंजाब सरकार द्वारा उठाई आपत्ति को रिपोर्ट में ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। कहा गया है कि यह हेलीकाप्टर सिंगल पायलट कंट्रोल्ड था। उधर, इसी मामले में राज्य के गृह विभाग द्वारा कमीशन आफ इंक्वायरी एक्ट के तहत बैठाई जांच भी पूरी हो गई है।
जालंधर डिवीजन के कमिश्नर एसआर लद्दड़ एकाध दिन में रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को सौंप देंगे। कमिश्नर रिपोर्ट को गुप्त बता कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें डीजीसीए की रिपोर्ट के विपरीत अनियमितताओं का जिक्र है, जिनके आधार पर सरकार कार्रवाई की मांग कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक डीजीसीए रिपोर्ट में कहा गया है कि अमूमन हेलीकाप्टर में ट्रिम एक्यूवेटर वायर टूट जाने की घटना हो जाती है। पायलट ऐसी एमरजेंसी से निपटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। जानकारों के मुताबिक ट्रिम एक्यूवेटर वायर हेलीकाप्टर में एलीवेटर, रडर व एलीरॉन के कंट्रोल को ईजी करता है।
वायर टूट जाने से पायलट को कंट्रोल में असहज हुआ होगा, जिस वजह से उसने वीवीआईपी सुरक्षा के मद्देनजर हेलीकाप्टर को लैंड कराना बेहतर समझा। इस मामले में कार्रवाई के लिए बार—बार डीजीसीए को पत्र लिख रही पंजाब सरकार अंदरखाते डीजीसीए की रिपोर्ट से ज्यादा संतुष्ट नहीं।
सरकार ने पायलट की योग्यता पर सवाल उठा मामले को वीवीआईपी सुरक्षा चूक बता कार्रवाई की मांग की थी, जबकि डीजीसीए ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। घटना के बाद डीजीसीए ने एक सकरुलर जरूर जारी किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ट्रिम एक्यूवेटर वायर को समय-समय पर चेक किया जाए।
बताते हैं कि पंजाब सरकार की ओर से कमिश्नर एसआर लद्दड़ को अलग से सौंपी जांच में डीजीसीए शामिल होने के लिए राजी नहीं हुई। कमिश्नर ने डीजीसीए को पृूरे मामले में पूछताछ के लिए कमीशन एक्ट के तहत नोटिस जारी किया, लेकिन डीजीसीए इस तर्क के साथ जांच में शामिल नहीं हुई कि विमान हादसों की जांच का मामला राज्य नहीं बल्कि केंद्र का विषय है। डीजीसीए इस मामले को कानून मंत्रालय के पास भेज चुकी है, इसलिए वह उनके कहने पर ही जांच में शामिल हो सकते हैं।
खास बात यह है कि हेलीकाप्टर में महिला को पायलट की योग्यता पर पंजाब सरकार द्वारा उठाई आपत्ति को रिपोर्ट में ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। कहा गया है कि यह हेलीकाप्टर सिंगल पायलट कंट्रोल्ड था। उधर, इसी मामले में राज्य के गृह विभाग द्वारा कमीशन आफ इंक्वायरी एक्ट के तहत बैठाई जांच भी पूरी हो गई है।
जालंधर डिवीजन के कमिश्नर एसआर लद्दड़ एकाध दिन में रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को सौंप देंगे। कमिश्नर रिपोर्ट को गुप्त बता कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें डीजीसीए की रिपोर्ट के विपरीत अनियमितताओं का जिक्र है, जिनके आधार पर सरकार कार्रवाई की मांग कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक डीजीसीए रिपोर्ट में कहा गया है कि अमूमन हेलीकाप्टर में ट्रिम एक्यूवेटर वायर टूट जाने की घटना हो जाती है। पायलट ऐसी एमरजेंसी से निपटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। जानकारों के मुताबिक ट्रिम एक्यूवेटर वायर हेलीकाप्टर में एलीवेटर, रडर व एलीरॉन के कंट्रोल को ईजी करता है।
वायर टूट जाने से पायलट को कंट्रोल में असहज हुआ होगा, जिस वजह से उसने वीवीआईपी सुरक्षा के मद्देनजर हेलीकाप्टर को लैंड कराना बेहतर समझा। इस मामले में कार्रवाई के लिए बार—बार डीजीसीए को पत्र लिख रही पंजाब सरकार अंदरखाते डीजीसीए की रिपोर्ट से ज्यादा संतुष्ट नहीं।
सरकार ने पायलट की योग्यता पर सवाल उठा मामले को वीवीआईपी सुरक्षा चूक बता कार्रवाई की मांग की थी, जबकि डीजीसीए ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। घटना के बाद डीजीसीए ने एक सकरुलर जरूर जारी किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ट्रिम एक्यूवेटर वायर को समय-समय पर चेक किया जाए।
बताते हैं कि पंजाब सरकार की ओर से कमिश्नर एसआर लद्दड़ को अलग से सौंपी जांच में डीजीसीए शामिल होने के लिए राजी नहीं हुई। कमिश्नर ने डीजीसीए को पृूरे मामले में पूछताछ के लिए कमीशन एक्ट के तहत नोटिस जारी किया, लेकिन डीजीसीए इस तर्क के साथ जांच में शामिल नहीं हुई कि विमान हादसों की जांच का मामला राज्य नहीं बल्कि केंद्र का विषय है। डीजीसीए इस मामले को कानून मंत्रालय के पास भेज चुकी है, इसलिए वह उनके कहने पर ही जांच में शामिल हो सकते हैं।