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सुस्त बाजार, गायब खरीदार, विनिवेश में कैसे सफल होगी मोदी सरकार?



केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगले कुछ महीने में मुनाफा देने वाले कई संयंत्रों के शेयर बेचने की तैयारी में है. ये कवायद नई नहीं है. हाल ही में जीएसटी का दबाव, गिरती जीडीपी और इनसे सरकार की कमाई पर लगे ग्रहण को देखते हुए मोदी सरकार ने 2016 की अपनी विनिवेश नीति की पुरानी फाइल एक बार फिर खोल ली है.
जिन कंपनियों से मोदी सरकार पल्ला झाड़कर अपनी कमाई बढ़ाने की कवायद करने जा रही है उनमें बीईएमएल, पवन हंस, ब्रिज एंड रूफ कंपनी इंडिया और हिंदुस्तान प्रीफैब्स प्रमुख हैं. इन कंपनियों समेत सरकार की विनिवेश लिस्ट में 20 कंपनियां शामिल हैं जिन्हें अक्टूबर 2016 में ही मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है.
केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक वह बीईएमएल में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 54 फीसदी से घटाकर 28 फीसदी करना चाहती है. वहीं अन्य कंपनियों से वह पूरी तरह बाहर निकलने की कवायद करने जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि उसे विनिवेश के लिए उपयुक्त कहा जा सके? क्या मौजूदा समय पर केंद्र सरकार इन कंपनियों को बेचकर उम्मीद के मुताबिक रेवेन्यू एकत्र कर सकती है?



एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया है कि सरकार ने विनिवेश की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. सरकार की तैयारी लगभग आधा दर्जन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की है और इस काम को मार्च 2018 से पहले पूरा करने की योजना बनाई जा रही है. समय को ध्यान में रखते हुए सलाहकारों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू है और इंटर मिनिस्टीरियल समिति ने इन कंपनियों के लिए उपयुक्त खरीदारों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इन कंपनियों को बेचकर आमदनी बढ़ाने की कोशिश
गौरतलब है कि मोदी सरकार बीईएमएल में 26 फीसदी हिस्सा मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ बेचेगी. पवन हंस में 51 फीसदी हिस्सा मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ बेचा जाएगा. ब्रिज एंड रूफ कंपनी लिमिटेड का 99.35 फीसदी हिस्सा बेचा जाएगा. भारत पंप्स एंड कम्प्रेशर्स में पूरी 100फीसदी हिस्सेदारी बिकेगी.
कितना है मोदी सरकार का विनिवेश टारगेट
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए मोदी सरकार ने विनिवेश के जरिए कुल 72,500 करोड़ रुपये कमाई का टारगेट रखा है. यह 2016-17 में एकत्र किए गए 46,500 करोड़ से लगभग 58 फीसदी अधिक है. केन्द्र सरकार की योजना पीएसयू में शेयर घटाकर 46,500 करोड़ रुपये, स्ट्रैटेजिक डिसइन्वेस्टमेंट के जरिए 15,000 करोड़ रुपये और इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्टिंग से 11,000 करोड़ रुपये कमाने की है.



अभी तक महज एक-तिहाई टारगेट पूरा
चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से केन्द्र सरकार महज 19,158 करोड़ रुपये की कमाई कर पाई है. इसमें एनटीपीसी ओएफएस से 9,118 करोड़ और सूती होल्डिंग में स्ट्रैटेजिक सेल से 4,153 करोड़ रुपये की कमाई शामिल है. लिहाजा, वित्त वर्ष के बचे हुए समय में सरकार की पूरी कोशिश मंजूरी पा चुकी इन इकाइयों को बेचकर अपने टारगेट को पूरा करने की है.
उपयुक्त खरीदार नहीं तो कौड़ियों के दाम बिकेंगे पीएसयू
गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के साथ जीएसटी लागू करने से दोहरा दबाव पड़ा है. इन दबावों के चलते अर्थव्यवस्था से सुस्ती है. एक के बाद एक वैश्विक एजेंसियां आने वाले समय में जीडीपी में गिरावट देख रही हैं. वहीं भारतीय बाजार से लगातार निवेशकों का पलायन देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में भारतीय बाजार में क्या सरकार अपनी कंपनियों के लिए उपयुक्त ग्राहकों को तलाश कर सकती है.
मौजूदा समय में बैंकों की स्थिति भी खराब है. लिहाजा, किसी बैंक से भी यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह सरकार की इस सेल लिस्ट में ज्यादा रुचि दिखाए. इन परिस्थितियों में जाहिर तौर पर कहा जा सकता है कि विनिवेश के जरिए सरकार की अपनी कमाई बढ़ाने की योजना वह नतीजा नहीं देगी जिसकी उसे उम्मीद है.
 

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Re: सुस्त बाजार, गायब खरीदार, विनिवेश में कैसे

Tfs....
 
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