~¤Akash¤~
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मेरी वफाओं का कुछ तो अब सिला निकले
कही ऐसा ना हो के वो भी बेवफा निकले
तुमने दिया था सो पी लिया हमने
अब ज़हर हो कोई या फिर दवा निकले
फिर गैरों से "अयान" शिकायत कैसी
जब मेरे अपने भी क्या से क्या निकले
उसने लगायी थी बस गवाह की कीमत
खुदाया खैर हो मुनसिफ भी बे ज़ुबां निकले
ऐसी रौशन थी राहे यारों बा-जमीरी से
मेरे रहजन भी बन के रहनुमा निकले....
कही ऐसा ना हो के वो भी बेवफा निकले
तुमने दिया था सो पी लिया हमने
अब ज़हर हो कोई या फिर दवा निकले
फिर गैरों से "अयान" शिकायत कैसी
जब मेरे अपने भी क्या से क्या निकले
उसने लगायी थी बस गवाह की कीमत
खुदाया खैर हो मुनसिफ भी बे ज़ुबां निकले
ऐसी रौशन थी राहे यारों बा-जमीरी से
मेरे रहजन भी बन के रहनुमा निकले....