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मन मैं मेरे जो पीड़ा है वह ही मेरी साथी है ,
और सुब नाते पल दो पल के वह नित -नित साथ निभाती है
नाता जुडा जब से पीड़ा से ,टूटे तब सब नाते ,
बिन पीड़ा अब सुख चैन मुझ को न भाते ,
पीड़ा ही सकून है अब तो पीड़ा ही है पीना ,
पीड़ा ही है जीवन मेरा बिन पीड़ा किया जीना
और सुब नाते पल दो पल के वह नित -नित साथ निभाती है
नाता जुडा जब से पीड़ा से ,टूटे तब सब नाते ,
बिन पीड़ा अब सुख चैन मुझ को न भाते ,
पीड़ा ही सकून है अब तो पीड़ा ही है पीना ,
पीड़ा ही है जीवन मेरा बिन पीड़ा किया जीना