JobanJit Singh Dhillon
Elite
बदनाम हुए इस कदर
के नाम भी हो गया
पहले तो छुपाता था नज़रें
अब शरेआम हो गया
पहले थी नसीहते कभी कभी
रोज का अब पैगाम हो गया
महखाने से था ना कोई वास्ता
अब लबो को सहारा-ऐ-जाम हो गया
पहले ना थी कभी फुर्सत हमें
अब वक़्त का हर पहलू गुलाम हो गया
पहले थी तमन्ना अधूरी सी
अब समंदर-ऐ-चाहत उफान हो गया
कभी रोशिनी का उजाला था हर तरफ
अब अंधेरो मैं ऐसा गुमनाम हो गया
कभी आसमान में तारे थे बेशुमार
चंद हसरतों का गुम वो चाँद हो गया
कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )
के नाम भी हो गया
पहले तो छुपाता था नज़रें
अब शरेआम हो गया
पहले थी नसीहते कभी कभी
रोज का अब पैगाम हो गया
महखाने से था ना कोई वास्ता
अब लबो को सहारा-ऐ-जाम हो गया
पहले ना थी कभी फुर्सत हमें
अब वक़्त का हर पहलू गुलाम हो गया
पहले थी तमन्ना अधूरी सी
अब समंदर-ऐ-चाहत उफान हो गया
कभी रोशिनी का उजाला था हर तरफ
अब अंधेरो मैं ऐसा गुमनाम हो गया
कभी आसमान में तारे थे बेशुमार
चंद हसरतों का गुम वो चाँद हो गया
कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )