ketan chadha
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मजबूरी ने ऐसे हमें मजबूर कर दिया...
इस जिंदगी मे, जिंदगी से दूर कर दिया..
पलके कमाल करती है उसके जमाल पर..
रो रो के हमने चेहरे को बेनूर कर दिया...
कहते थे चाँद तो कभी कहते खुदा भी थे..
हाँ इश्क ने ही हुस्न को मग़रूर कर दिया...
कितने हुए तमाम मोहब्बत की राह मे..हमको तो इसके ग़म ने भी मसरूर कर दिया...
शिद्दत से हमपे उसने किये थे करम बोहत
उसने सितम भी हमपे ही भरपूर कर दिया...
इस जिंदगी मे, जिंदगी से दूर कर दिया..
पलके कमाल करती है उसके जमाल पर..
रो रो के हमने चेहरे को बेनूर कर दिया...
कहते थे चाँद तो कभी कहते खुदा भी थे..
हाँ इश्क ने ही हुस्न को मग़रूर कर दिया...
कितने हुए तमाम मोहब्बत की राह मे..हमको तो इसके ग़म ने भी मसरूर कर दिया...
शिद्दत से हमपे उसने किये थे करम बोहत
उसने सितम भी हमपे ही भरपूर कर दिया...