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पाकिस्तान के कुछ अखबारों का भी जवाब नहीं। वे ऐसे-ऐसे शिगूफे खोजकर लाते हैं कि पढ़नेवाले हैरान हो जाएं। वहां के एक अखबार
'पाकिस्तान ऑब्जर्वर' ने 31 मार्च को अपने पहले पन्ने पर बड़े-बड़े अक्षरों में खबर छापी है कि ओसामा का टेप भारत से डिलिवर किया गया। हेडलाइन के नीचे लिखा है कि ओसामा को पिछली बार बेंगलुरु में देखा गया था।
इस खबर के मुताबिक, ओसामा बिन लादेन का हाल ही में जो टेप आया था, वह भारत से भेजा गया था! ऐसा आबुधाबी के डिप्लोमैटिक और मीडिया सूत्रों का मानना है। अरब जगत के एक सीनियर पत्रकार के मुताबिक ओसामा का पिछले हफ्ते जो टेप अल जजीरा टीवी को मिला था, उसे एक भारतीय कूरियर के जरिए भेजा गया था। इस टेप में ओसामा ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिकी कोर्ट में समरी ट्रायल के बाद अल-कायदा के आदमियों को कत्ल किया गया, तो अमेरिकी बंधकों को मार दिया जाएगा।
अखबार ने कुछ 'एरिया स्पेशलिस्टों' के हवाले से लिखा है कि ऐसा ही एक टेप 2006 में भेजा गया था, उसे भी हैदराबाद में एक कूरियर को दिया गया था, जिसने बाद में उसे मिडल ईस्ट में अरब टीवी के ऑफिस के अपने संपर्क को दिया था। ये 'एरिया स्पेशलिस्ट' कौन हैं, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है।
अखबार कहता है कि हालांकि ओसामा कहां है, इस बारे में अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ ऐंटि-टेरर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओसामा को पिछली बार 2003 में भारत में देखा गया था। एरिया स्पेशलिस्टों को इस बात का भी यकीन है कि पिछली बार ओसामा ने अपनी दो पत्नियों से मिलने के लिए हैदराबाद और बेंगलुरु की यात्रा की थी। वह असम, हैदराबाद और दिल्ली होते हुए यहां तक पहुंचा था।
खबर के मुताबिक, 'एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर उलझन में हैं कि 2003 में, जब वह दुनिया का मोस्ट वॉन्टेड इंसान बन चुका था, तो बिना भारतीय सरकार और इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ की मदद के वह भारत यात्रा कैसे कर सकता है।' ये एक्सपर्ट्स कौन हैं, कहां से आए हैं, क्या करते हैं, ऐसा कोई जिक्र खबर में नहीं है।
अखबार ने अपनी इस खबर में भारतीय अखबार 'द हिंदू' का भी जिक्र किया है। अखबार कहता है कि 2003 में हिंदू में ओसामा की भारतीय कश्मीर में मौजूदगी के बारे में खबर छपी थी , जिसका तब के भारतीय आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर ने फौरन खंडन किया था। अखबार के मुताबिक कुछ पश्चिमी एजेंसियों ने भी 2003 में साउथ इंडिया में लादेन की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
खबर कहती है, 'ऐसा माना जाता है कि ओसामा की भारत यात्रा में भारत सरकार या रॉ ने ही मदद की होगी और इस मदद से साफ जाहिर है कि ओसामा को भारत ने अपने हितों के लिए खतरा नहीं माना।' ऐसा कौन मानता है, इस बारे में लिखने की हिम्मत या जहमत अखबार ने नहीं उठाई है।
खबर में अमेरिका को भी लपेटा गया है। कहा गया है कि भारत और अमेरिका में जिस तरह स्ट्रैटिजिक संबंधों में गर्मी आई है और अमेरिका की खुफिया पैठ जितनी गहरी है, उसे देखते हुए यह मानना मुश्किल है कि नई दिल्ली में मौजूद कम से कम कुछ अमेरिकी डिप्लोमैट्स को ओसामा की भारत यात्रा के बारे में पता न हो।
खबर को वही पुराना पाकिस्तानी राग अलापते हुए खत्म किया गया है कि ऐंटि-टेरर एक्सपर्ट्स हैरान हैं कि ओसामा की भारत में मौजूदगी के सूत्रों को तलाशने के बजाय वे लोग पाकिस्तान पर ही फिजूल आरोप लगाते रहते हैं।

'पाकिस्तान ऑब्जर्वर' ने 31 मार्च को अपने पहले पन्ने पर बड़े-बड़े अक्षरों में खबर छापी है कि ओसामा का टेप भारत से डिलिवर किया गया। हेडलाइन के नीचे लिखा है कि ओसामा को पिछली बार बेंगलुरु में देखा गया था।
इस खबर के मुताबिक, ओसामा बिन लादेन का हाल ही में जो टेप आया था, वह भारत से भेजा गया था! ऐसा आबुधाबी के डिप्लोमैटिक और मीडिया सूत्रों का मानना है। अरब जगत के एक सीनियर पत्रकार के मुताबिक ओसामा का पिछले हफ्ते जो टेप अल जजीरा टीवी को मिला था, उसे एक भारतीय कूरियर के जरिए भेजा गया था। इस टेप में ओसामा ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिकी कोर्ट में समरी ट्रायल के बाद अल-कायदा के आदमियों को कत्ल किया गया, तो अमेरिकी बंधकों को मार दिया जाएगा।
अखबार ने कुछ 'एरिया स्पेशलिस्टों' के हवाले से लिखा है कि ऐसा ही एक टेप 2006 में भेजा गया था, उसे भी हैदराबाद में एक कूरियर को दिया गया था, जिसने बाद में उसे मिडल ईस्ट में अरब टीवी के ऑफिस के अपने संपर्क को दिया था। ये 'एरिया स्पेशलिस्ट' कौन हैं, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है।
अखबार कहता है कि हालांकि ओसामा कहां है, इस बारे में अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ ऐंटि-टेरर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओसामा को पिछली बार 2003 में भारत में देखा गया था। एरिया स्पेशलिस्टों को इस बात का भी यकीन है कि पिछली बार ओसामा ने अपनी दो पत्नियों से मिलने के लिए हैदराबाद और बेंगलुरु की यात्रा की थी। वह असम, हैदराबाद और दिल्ली होते हुए यहां तक पहुंचा था।
खबर के मुताबिक, 'एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर उलझन में हैं कि 2003 में, जब वह दुनिया का मोस्ट वॉन्टेड इंसान बन चुका था, तो बिना भारतीय सरकार और इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ की मदद के वह भारत यात्रा कैसे कर सकता है।' ये एक्सपर्ट्स कौन हैं, कहां से आए हैं, क्या करते हैं, ऐसा कोई जिक्र खबर में नहीं है।
अखबार ने अपनी इस खबर में भारतीय अखबार 'द हिंदू' का भी जिक्र किया है। अखबार कहता है कि 2003 में हिंदू में ओसामा की भारतीय कश्मीर में मौजूदगी के बारे में खबर छपी थी , जिसका तब के भारतीय आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर ने फौरन खंडन किया था। अखबार के मुताबिक कुछ पश्चिमी एजेंसियों ने भी 2003 में साउथ इंडिया में लादेन की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
खबर कहती है, 'ऐसा माना जाता है कि ओसामा की भारत यात्रा में भारत सरकार या रॉ ने ही मदद की होगी और इस मदद से साफ जाहिर है कि ओसामा को भारत ने अपने हितों के लिए खतरा नहीं माना।' ऐसा कौन मानता है, इस बारे में लिखने की हिम्मत या जहमत अखबार ने नहीं उठाई है।
खबर में अमेरिका को भी लपेटा गया है। कहा गया है कि भारत और अमेरिका में जिस तरह स्ट्रैटिजिक संबंधों में गर्मी आई है और अमेरिका की खुफिया पैठ जितनी गहरी है, उसे देखते हुए यह मानना मुश्किल है कि नई दिल्ली में मौजूद कम से कम कुछ अमेरिकी डिप्लोमैट्स को ओसामा की भारत यात्रा के बारे में पता न हो।
खबर को वही पुराना पाकिस्तानी राग अलापते हुए खत्म किया गया है कि ऐंटि-टेरर एक्सपर्ट्स हैरान हैं कि ओसामा की भारत में मौजूदगी के सूत्रों को तलाशने के बजाय वे लोग पाकिस्तान पर ही फिजूल आरोप लगाते रहते हैं।