~¤Akash¤~
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सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिसको देखा ही नही उसको खुदा कहते हैं
ज़िंदगी को भी सिला कहते हैं कहने वाले
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं
फ़ासले उम्र के कुछ और बढ़ा देती है
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं
चाँद मासूम से पत्तों का लहू है `फाकिर’
जिसको महबूब के हाथों की हिना कहते हैं.................
जिसको देखा ही नही उसको खुदा कहते हैं
ज़िंदगी को भी सिला कहते हैं कहने वाले
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं
फ़ासले उम्र के कुछ और बढ़ा देती है
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं
चाँद मासूम से पत्तों का लहू है `फाकिर’
जिसको महबूब के हाथों की हिना कहते हैं.................