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इंटरनेशनल लेवल पर मनाया जा रहा है यहां दशहरा, 250 देवता कर रहे हैं शिरकत



1660 ईस्वी से मनाए जाने वाले कुल्लू दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा मिल गया है।
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कुल्लू दशहरा में भगवान रधुनाथ का रथ।

चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पहली बार दशहरे का आगाज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ। शनिवार को दशहरा पर्व 250 से ज्यादा देवता कुल्लू में पहुंचे हैं। दोपहर 3 बजे के बाद उत्सव में भगवान रधुनाथ का रथ खींचा जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...
-1660 ईस्वी से मनाए जाने वाले कुल्लू दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा मिल गया है।
-भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस बार अंतर्राराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दे दिया है।
-राजनेताओं ने इस उत्सव को 1970 में अंतरराष्ट्रीय दर्जा देने की घोषणा की थी लेकिन वास्तविक रूप से दशहरा को अंतरराष्ट्रीय दर्जा नहीं मिला था।
लिम्का बुक और गिनिज बुक रिकार्ड दशहरा के नाम...
-कुल्लू दशहरा उत्सव के नाम गिनिज बुक और लिम्का बुक रिकार्ड स्थापित है।
-जिससे अंतर्राष्ट्रीय दर्जा मिलने में आसानी हो गई।
-वर्ष 2014 से लेकर कुल्लू दशहरा के स्वरूप में और भी निखार आया है।
-जबकि पहली बार 8 हजार से अधिक महिलाओं को बेटी है अनमोल थीम पर समूहिक रूप से नाटी में नचाया था तब कुल्लू की नाटी को लिम्का बुक के रिकार्ड में दर्ज किया गया था।
-उसके बाद वर्ष 2015 में करीब 14 हजार महिलाओं को इस नाटी में नचाया गया था जिससे कुल्लू नाटी को गिनिज बुक ऑफ वल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया।
तब मिला था राज्य स्तरीय दर्जा...
- वर्तमान हिमाचल प्रदेश पंजाब सूवे का हिस्सा था और मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो के मंत्रीमंडल में कुल्लू के लाल चंद प्रार्थी मंत्री थे और उन्होंने कुल्लू दशहरा उत्सव को 1966 में राज्य स्तर का दर्जा दिलवाया था।
-जबकि 1970 में तत्कालीन नेताओं ने इस उत्सव को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की घोषणा की थी।
-लेकिन दर्जा तो नहीं मिला पर दशहरा उत्सव को कागजों में अंतर्राष्ट्रीय लिखा जाने लगा।
-करीब साढे़ चार दशकों तक कुल्लू दशहरा उत्सव को सिर्फ कागजों में ही अंतर्राष्ट्रीय लिखा जाता रहा पर असल में उत्सव अंतर्राष्ट्रीय नहीं था।
प्रदेश में कोई भी उत्सव नहीं है अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त...
-हिमाचल प्रदेश में चाहे मंडी की शिवरात्री हो, चंबा का मिंजर मेला, रामपुर की लबी या फिर बिलासपुर का नलवाड किसी भी उत्सव को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त नहीं है।
-सिर्फ कागजों और बैनरों में ही इन मेलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेले लिखा जाता है।
-वास्तव में ये मेले भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय से अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त नहीं है।
संस्कृति मंत्रालय की ओर से अंतर्राष्ट्रीय दर्जा मिल गया है​...
यह पहला मौका है जब कुल्लू दशहरा उस्तव पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मनाया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय की ओर से अंतर्राष्ट्रीय दर्जा मिल गया है। इसके लिए मंत्रालय को आवेदन किया गया था और मंत्रालय ने दशहरा उत्सव को मान्यता दे दी है। इसके लिए मैंने स्वयं दिल्ली जाकर आवेदन किया था और सारी औपचारिकताएं पूरी कर इसे मान्यता मिल गई।- यूनुस, डीसी कुल्लू
 
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