-------चल झूठे !

मैने तेरी सूरत की तारीफ करी,
तेरी हर अदा पे आहें भारी,
तू बलखाती ,लहराती इतराती,
मंद -मंद मुस्काती मेरे पास आई,
और शर्मा कर बोली --चल झूठे !

तेरे हाथो से छूटा रुमाल,
उसकी खुसबू बड़ी बेमिसाल,
मैने झट से लपक लिया,
सूँघ कर होंठो से लगाया और कहा,
तेरा रुमाल मुझे घायल कर गया,
तू पलट कर बोली--चल झूठे!

मैने तुझे संदेशा भिजवाया,
अपना हाल -ए- दिल बतलाया,
कहा अब तेरे बिन जीना मुस्किल है,
मन मिलने को व्याकुल है,
रातो को नींद नही आती है,
तेरा जवाब आया तूने लिखा---- चल झूठे!

तेरी राह मे घंटो खड़ा रहा,
तुझसे मिलने को अड़ा रहा,
पसीने से नहा गया,
किसे से कुछ ना कहा गया,
तुझे देखा तो मिलना चाहा,
तू बस सामने से निकल गयी,
बस एक नज़र देखा और कह गये -- चल झूठे!

अपना प्यार जताने को,
खून से लिख खत भिजवाया,
और अरमानो की सेज सजाई,
सोचा तू भागी चली आएगी,
अपना मुझे बानाएगी,
तूने मेरे खून को स्याही समझा,
और सखी से संदेशा भिजवाया,
खत मे लिखा--चल झूठे!

तुझसे ब्याह रचाने को,
अपना तुझे बनाने को,
मैं तेरे आगे फूल लेकर,
अपना दिल तेरेकदमो पे रखकर,
घंटो मिन्नते करता रहा,
तूने इसे एक मज़ाक समझा,
मेरे बालो को सहलाकर,
प्यार से बोली------ चल झूठे!

आज एक बात बताता हूँ
दिल का राज जताता हूँ
तू मुझे चाहे ना चाहे
तू मुझे मिले ना मिले
बस मुझे यू ही देखकर
प्यार से नज़रे मिलाकर
बस यू ही कहती रहा कर---- चल झूठे!


डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा

 
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