ए ज़िंदगी.....

तेरी अदओ से हटके कुछ देखा है
तेरी मदहोशी को पी के देखा है
मुस्कुरा न यूहन तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरे हर सितम मे जी के देखा है!

लगता है जैसे साँसे थम सी रही है
आँखों मॅ नींद है एन दिल मॅ करार
मुस्कुरा रही है तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तुझे मार के भी जिया है!

तन्हाई से मेल हो रहा है
खुद ही खुद से बोल रहा है
मुस्कुराती क्यो है तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरा हर विष पिया है!

मुझे ले चल अपने संग कही
तेरे बिन हर पलसुना लगता है
हँसती है अब तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरा मेरा कुछ तो रिश्ता है!!

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