बजट बॉलिवुडः लगा कॉपीराइट टैक्स का लाफा

इस बार प्रणव दा से टैक्सों में ज्यादा रियायत की उम्मीद लगाए बॉलिवुड नगरी के हाथ निराशा लग
ी है। किसी तरह की राहत तो उन्हें दादा ने नहीं दी, पर अप्रत्यक्ष तौर से कॉपीराइट टैक्स जरूर लाद दिया। फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन, सिनेमा मालिकान और इस बिजनेस से जुड़े वर्ग ने बजट को ग्लैमर नगरी के लिए पूरी तरह ट्रैजिडी बताया। दिल्ली की फिल्म कॉलोनी के डिस्ट्रिब्यूटर्स ने एकमत से इस बजट की निंदा की। उनका कहना है कि हर साल करोड़ों का टैक्स अदा करने वाली इस इंडस्ट्री को पिछले कई सालों में किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली।

जानेमाने फिल्म मेकर सुभाष घई ने कहा इस बार हमें बहुत उम्मीद थी कि सरकार कम से कम विदेशों में तेजी से ईजाद हुई लेटेस्ट सिनेमा तकनीक को भारत में लाने का रास्ता साफ करेगी और विदेशी तकनीक की खरीद पर ड्यूटी और टैक्सों में छूट देगी। घई कहते हैं कि हमने केंद्र में बैठी हर सरकार का ध्यान इस ओर दिलाने की कोशिश की। ताकि हम भारतीय सिनेमा को विश्वस्तरीय बना सके। भूत अंकल, राइट या रांग सहित कई मेगा बजट फिल्में बना चुके दिल्ली बेस प्रड्यूसर कृष्ण चौधरी ने कहा टैक्स में किसी तरह की छूट देना तो दूर वित्त मंत्री ने अपने बजट प्रस्ताव में कॉपीराइट का दायरा कुछ ऐसा बढ़ा दिया कि भविष्य में दूसरे राज्यों की बनी सुपर हिट फिल्मों के हिंदी राइट्स खरीदने से भी निर्माता बचेंगे। बकौल चौधरी इस नए कॉपीराइट के तहत अब दूसरी किसी भी भाषा में बनी किसी फिल्म को अगर आप दूसरी भाषा में डब भी करते हैं तो उस पर सरकार टैक्स वसूलेगी।

सिनेमा मालिकों की संस्था नैशनल मोशन पिक्चर एग्जीबिटर्ज असोसिएशन के शशांक रायजादा कहते हैं कि सरकार ने हमें किसी प्रकार की राहत देना तो दूर हमारे घावों पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है। शशांक के मुताबिक कॉपीराइट कानून के बदले प्रावधानों के मुताबिक अब सरकार ने संगीत पर भी अप्रत्यक्ष टैक्स लगा दिया है। इस नए टैक्स के मुताबिक नई फिल्म का निर्माता अब जब अपनी फिल्म के म्यूजिक राइट्स किसी कंपनी को बेचेगा तो उसे कॉपीराइट टैक्स अदा करना होगा।

देश भर में सबसे ज्यादा मल्टिप्लैक्स थिएटरों का संचालन करने वाले समूह ऑइनॉक्स के वीपी उत्पल आचार्य ने सिनेमा उद्योग के लिए बजट को सौ फीसदी निराशाजनक बताया। उत्पल कहते हैं कि हर साल लगातार फिल्मों की नाकामी के चलते छोटे-बड़े शहरों के मल्टिप्लैक्स संचालकों को करोड़ों की चपत लग रही है, ऐसे में हम वित्त मंत्री से किसी राहत पैकेज की उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन प्रणव दा ने तो हमें और मुश्किलों में डाल दिया। इस बजट में फिल्म इंडस्ट्री को किसी तरह की राहत ना मिलने से त्रस्त कई फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स, प्रड्यूसर और सिनेमा मालिकों ने फीकी होली मनाने का फैसला किया है।
 
Top