दो बूढे चरागों का उजाला ना चला जाए
आये जो बहु हाथ से बेटा ना चला जाए
इसे खौफं से हम धूप से लिपटे रहे दिन भर
ये धूप चली जाए तो साया ना चला जाए
वो शहर गरीबों का था जब भीख लुटी थी
ये शहर अमीरों का हैं कांसा ना चला जाए..........
कांसा=भीख मांगने का पात्र