वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे

~¤Akash¤~

Prime VIP
ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
कि संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे

वो महरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे

कातिल "सिफई"
 
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