वो बहारों में ज़रा कम ही मिला करता है

~¤Akash¤~

Prime VIP
जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है
एक समंदर मेरी आँखों से बहा करता है

उसकी बातें मुझे खुशबु की तरह लगती हैं
फूल जैसे कोई सहरा में खिला करता है

मेरे दोस्त की पहचान यहीं काफ़ी है
वो हर एक शख्स को दानिस्ता खफा करता है

और तो कोई सबब उसकी महोब्बत का नहीं
बात इतनी है के वो मुझसे ज़फा करता है

खिजाएँ आएँगी तो लोट आएगा वो भी फ़राज़
वो बहारों में ज़रा कम ही मिला करता है
 
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