सुबह चिड़ियों के मधुर स्वर गूँजते हैं।

सुबह चिड़ियों के मधुर स्वर गूँजते हैं।

और पंडित जी नहा-धोकर,
बड़े ही मग्न होकर
लगा आसन, भागवत-गीता उठाकर
पाठ करते, कृष्ण-राधा की कथा गाते हुए
अति भक्ति-विहल जान पड़ते,
और अपनी तान पर, लय पर
स्वयं ही ऊंघते हैं।

देवता आकाश के
यह देखकर अभिमान से भरते
कि धरती के मनुज उनको अभी तक पूजते हैं,
किन्तु बेचारे नहीं यह जान पाते-
आज का इंसान ख़ुद को पूजता है,
और जो सच्चे पुजारी
देवताओं के, प्रकृति के--
बच गये हैं:
वे वही हैं जो
बड़े तड़के मधुर पावन स्वरों में,
वनों में, पथ में, जगत भर में
विहग-दल कूजते हैं ।

सुबह चिड़ियों के मधुर स्वर गूँजते है।
 
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