मुस्कुरा कर दोस्तों से जख्मे दिल खाने पड़े हमको पत्थर के भी बदले फूल बरसाने पड़े तब कही जाकर हुई तस्लीम मेरी रहबरी रस्ते मे काफिले सौ बार लुटवाने पड़े...........