~¤Akash¤~
Prime VIP
ये बार ए फलक हमने ज़मीं पर नहीं रक्खा
थक कर किसी कांधे पे कभी सर नहीं रक्खा
उसने भी हवाओं के अभी रुख नहीं बदले
मैंने भी चरागों को बुझा कर नहीं रखा
क्यों ठोकरे लगती है जब हमने कभी भी
रस्ते मे किसी के कोई पत्थर नहीं रखा
तारीख से वाकिफ है जो बेटे का उन्होंने
रक्खा हैं अली नाम सिकंदर नहीं रक्खा
बार ए फलक =आसमां का बोझ
थक कर किसी कांधे पे कभी सर नहीं रक्खा
उसने भी हवाओं के अभी रुख नहीं बदले
मैंने भी चरागों को बुझा कर नहीं रखा
क्यों ठोकरे लगती है जब हमने कभी भी
रस्ते मे किसी के कोई पत्थर नहीं रखा
तारीख से वाकिफ है जो बेटे का उन्होंने
रक्खा हैं अली नाम सिकंदर नहीं रक्खा
बार ए फलक =आसमां का बोझ