~¤Akash¤~
Prime VIP
दीवाने पन का कुछ ऐसा सूरूर छाया है
बिन पिए आज "अयान" लडखडाया है
बरसों से जिस निगाहें करम को तरसे थे
उन्ही आँखों से मेरे नाम जाम आया है
दरीचे दिल के बरसों में खुले है उसके
यूँ मेरा सब्र ए सुकूं मेरे काम आया है
जिसकी फितरत मे ही यारों फरेब शामिल था
वो आज ले के वफाओं का नाम आया है
फिर गैरों से क्या कहते परेशानी का सबब
जब भाई भी ना भाई के ही काम आया है
मेरी महोब्बत उसे इसलिए नहीं मंजूर
कहाँ तुम्हारा दीवानों मे नाम आया है.......
बिन पिए आज "अयान" लडखडाया है
बरसों से जिस निगाहें करम को तरसे थे
उन्ही आँखों से मेरे नाम जाम आया है
दरीचे दिल के बरसों में खुले है उसके
यूँ मेरा सब्र ए सुकूं मेरे काम आया है
जिसकी फितरत मे ही यारों फरेब शामिल था
वो आज ले के वफाओं का नाम आया है
फिर गैरों से क्या कहते परेशानी का सबब
जब भाई भी ना भाई के ही काम आया है
मेरी महोब्बत उसे इसलिए नहीं मंजूर
कहाँ तुम्हारा दीवानों मे नाम आया है.......