Saini Sa'aB
K00l$@!n!
बदली कहाँ गाँव की माटी
बदल गए हैं लोग
हमारे गाँव में।
भाईचारा अपनेपन का
लोप हो गया
लगता है जैसे ईस्सर का
कोप हो गया
ठंडी पड़ी अलावें जैसे
मना रही हों सोग
हमारे गाँव में।
गली-गली बँट गई
बँटे रिश्ते सारे
खोज-खोज कर मानवता को
पग-पग हारे
अपनी करनी का फल ही तो
लोग रहे हैं भोग
हमारे गाँव में।
बापू की आँखों में
सन्नाटा गहरा है
हर होठों पर कैसा
आतंकी पहरा है
कुशल-क्षेम पूछे ना कोई
कहे ना उपमा जोग
हमारे गाँव में।
बदल गए हैं लोग
हमारे गाँव में।
भाईचारा अपनेपन का
लोप हो गया
लगता है जैसे ईस्सर का
कोप हो गया
ठंडी पड़ी अलावें जैसे
मना रही हों सोग
हमारे गाँव में।
गली-गली बँट गई
बँटे रिश्ते सारे
खोज-खोज कर मानवता को
पग-पग हारे
अपनी करनी का फल ही तो
लोग रहे हैं भोग
हमारे गाँव में।
बापू की आँखों में
सन्नाटा गहरा है
हर होठों पर कैसा
आतंकी पहरा है
कुशल-क्षेम पूछे ना कोई
कहे ना उपमा जोग
हमारे गाँव में।