हमारी न्याय व्यवस्था?

प्रिय भारतवासियों,
भारत एक बहुत ही महान देश है ! यहाँ हर स्तर पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, न्यायपलिकाओं का गठन किया गया है! जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर , और राष्ट्रीय स्तर पर! परन्तु क्या आपको लगता है की अपराधी या किसी भी प्रकार के अवांछनीय तत्वों को उचित दंड देने में हमारी न्यायपालिका सुचारू रूप से कार्य कर रही है ! मैं यहाँ विशेष तौर पे अपराधियों की श्रेणी बताना चाहूँगा ! कुछ तो हैं राष्ट्रदोही या आतंकवादी जिनके खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में अभियोग चल रहा है और चलता रहेगा ! दुसरे हैं राजनैतिक अपराधी या हमारे राजनेता जिन्हें हम खुद चुनकर भेजते हैं ! ये भी दो प्रकार के हैं! एक तो वो हैं जो पहले से अपराधी हैं, दुसरे राजनेता बनने के बाद अपराधी बन जाते हैं !ये मुख्यरूप से खोटालेबाज होते हैं! जो की कोई बहुत संगीन जुर्म नही करते, परन्तु इनका अपराध बहुत बड़ा होता है !ये आम जनता के अपराधी हैं! हर किसी को इनके घोटालो से नुकसान पहुचता है! चाहे वो रिक्शेवाला हो या बैंक मेनेजर या फिर जिलाधिकारी! परन्तु इनका अभियोग भी चलता रहता है और इनके खिलाफ कभी कोई सजा नहीं सुनाई जाती! तीसरे हैं छोटे दर्जे के आम अपराधी, जो शायद किसी मजबूरी में या फिर कई बार जानबूझ कर भी अपराध में शामिल होते हैं ! वैसे इनका अभियोग भी बहुत समय तक चलता है ,लेकिन इन्हें निर्णय इनके जीवनकाल में ही मिल जाता है , और सजा भी.! परन्तु जो सबसे पहले प्रकार के अपराधी हैं (आतंकवादी और देशद्रोही ), पहले तो पूरे अभियोग के वक्त इनकी पूरी खातिरदारी की जाती है!काफी समय लगता है अभियोजन में ! कई बार अपराधी की मृत्यु भी हो जाती है !फिर इन्हें निर्णय सुना दिया जाता है, कभी दिया नही जाता ! जैसा की कई खतरनाक अपराधियों के बारे में आप जानते ही होंगे! अबू सलेम, मोहम्मद कसाब, अफजल गुरु, सारे सबूत हैं इनके खिलाफ, देश के सारे और विदेश के मीडिया चैनेल के कैमरों में गोली चलते हुए इनकी तस्वीर है ! सब कुछ है ! १००० गवाह मौजूद हैं,फिर भी ये अपराधी किसी vvip से भी ज्यादा सुरक्छा के साथ,और शायद जेल सुपेरीतेंदेंट से बढ़िया खाना खाते हुए,पूरी मेडिकल सुविधाओ के साथ अपना जीवन गुज़ारते हैं! न तो हमने सुना कभी की मुंबई ब्लास्ट के आरोपी (हजारो लोगो के कातिल) किसी आरोपी को फांसी दे दी गयी हो! ना ही ये समझ आ रहा की भारत की सारी पुलिस फ़ोर्स और आला अफसर ३६५ दिन से ज्यादा समय हो गया, कसाब मियां से क्या सच उगलवाना चाहते हैं !इतने दिन में वो ३१ करोर रुपये से ज्यादा का खाना और खर्चा डकार गया !अबू सलेम के अभियोग का भी ना जाने क्या चल रहा है ! हमारे न्यायाधीश सेवामुक्त (रिटायर्ड) हो जाते हैं इतने दिनों में परन्तु निर्णय नही आ पाता ! कैसा सिस्टम है ?सद्दाम हुसैन जिसको सजा देना इतना आसान काम नही था (इराकी लोगो की प्रतिक्रिया का डर), को भी सजा सुनाने के १ महीने के अन्दर फंसी दे दी गयी ! क्या कुछ ऐसे सख्त कानून की आवश्यकता नही है जिससे की ऐसे आतंकवादियो और जघन्य अपराधियों के अभियोग का निपटारा महीने, दो महीने या , ६ महीने क अन्दर हो सके, और सजा को ३० दिनों के अन्दर निष्पादित किया जा सके! सरकार कह रही है की ऐसे कानून का फिर दुर्प्रयोग होगा, और सरकार नही चाहती की किसी निर्दोष को सजा मिले !अरे अब तो आपके पास सारे सबूत ,गवाह, विडियो फिल्म, अपराध में इस्तेमाल किये गए हथियार सब कुछ हैं, फिर भी कसाब और अबू सलेम व अफज़ल गुरु जैसे दुर्दांत राष्ट्रदोही और आतंकवादी अब तक जिन्दा है! और मित्रो मेरा यकीन मानिये, आपको खांसी आये और आपके पास पैसे ना हो तो शायद आप खांस खांस के और टी. बी. जैसी बीमारी से मर जाएँगे, लेकिन ये अपराधी अगर हल्का सा छींक भी दे (मौसम बदलने की वजह से) तो अच्छे से अच्छा डॉक्टर व अस्पताल अपनी बाहे फैलाए हुए उपलब्ध रहते हैं २४ घंटे वो भी!


समय है परिवर्तन का ! विरोध करना सीखें !
हाथ बढाएं, हाथ मिलाएं!
समय है युवा नेतृत्व व सोच को आगे लाने का !
 
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