Old Lyrics Waseem Barelvi Ghazal – Miri Nazar Ke Salike Mein Kya Nahi Aata

मिरी नज़र के सलीके में क्या नहीं आता
बस इक तिरी ही तरफ़ देखने नहीं आता

अकेले चलना तो मेरा नसीब था कि मुझे
किसी के साथ सफ़र बाँटना नहीं आता

उधर तो जाते हैं रस्ते तमाम होने को
इधर से होके कोई रास्ता नहीं आता

जगाना आता है उसको कई तरीकों से
घरों पे दस्तकें देने खुदा नहीं आता

यहाँ पे तुम ही नहीं आस पास और भी हैं
पर उस तरह से तुम्हें सोचना नहीं आता

पड़े रहो यूँ ही सहमे हुए दियों की तरह
अगर हवाओं के पर बांधना नहीं आता
 
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