Punjab News वीजा के नाम पर ठगी, छात्रों ने दबोचा आरोपी

खरड़. लुधियाना के छह छात्र, जो ऑस्ट्रेलिया जाकर करियर बनाना चाहते थे। एजेंट ने उन्हें सपने दिखाए, लेकिन छात्र ऑस्ट्रेलिया नहीं पहुंच सके। छात्रों की करीब 24 लाख रुपये की रकम एजेंट ने अपनी बीवी के खाते में डलवा दी और अपना दफ्तर बंद कर गायब हो गया।

एजेंट ने सारा धंधा ऑनलाइन शुरू किया। छात्रों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने फिर एक छात्र के जरिये एजेंट से ऑनलाइन संपर्क साधा। करीब छह महीने बाद यह एजेंट पकड़ में आया है। उसे पुलिस के हवाले किया गया, लेकिन पुलिस ने कोई केस दर्ज करना मुनासिब नहीं समझा।

एसएचओ खरड़ त्रिलोचन सिंह ने बताया कि लुधियाना के जगजीत सिंह अपनी पत्नी को ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहते थे। जगजीत की शिकायत के मुताबिक उन्होंने इसके लिए लुधियाना के सुमित को 6 लाख रुपये दिए थे। सुमित ने यह रकम एजेंट राकेश चौहान को दे दी। इसमें स्टडी वीजा और यूनिवर्सिटी की फीस शामिल थी। यूनिवर्सिटी ने वीजा रिजेक्ट कर दिया, लेकिन रकम जगजीत को वापस नहीं मिली। पता चला कि राकेश ने यह रकम अपनी बीवी के खाते में डलवा दी है। ऐसा ही पांच अन्य छात्रों के साथ हुआ।

एसएचओ के मुताबिक सब-एजेंट सुमित का कार्यालय लुधियाना में है, जबकि राकेश चौहान ने मुंडी खरड़ में दफ्तर खोल रखा था। ये एजेंट छात्रों से फॉर्म भरवाते थे और फीस लेकर मुंबई दफ्तर भेज देते थे। यहां से कागजात और फीस ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी भेजी जाती थी। प्रोसेसिंग के लिए एजेंट हर छात्र से 30 से 35 हजार रुपये तक लेते थे। विभिन्न कोर्स के लिए छात्रों से 4 से 6 लाख रुपये तक फीस ली जाती है। छात्रों को रकम वापस न मिली तो उन्होंने राकेश की तलाश शुरू की, लेकिन उसने अपना मुंडी खरड़ का दफ्तर बंद कर दिया था। छात्रों को पता चला कि राकेश ने ऑनलाइन धंधा शुरू कर दिया है।

देर रात समझौता

एसएचओ त्रिलोचन सिंह ने बताया कि दोनों पार्टियों को शनिवार को थाने में बुलाया गया था। देर शाम समझौता हो गया है। राकेश ने जगजीत को तीन चेक दिए हैं। उन्होंने बताया कि अगर शिकायतकर्ता चाहे तो आरोपी के खिलाफ धारा 406 व 420 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है, लेकिन समझौता होने के बाद अब ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

आईपी एड्रेस से पकड़ा गया एजेंट

मोहाली. एजेंट राकेश चौहान तक छात्र आईपी एड्रेस के जरिये पहुंचे। राकेश तक पहुंचने के लिए छात्रों को जाल बुनना पड़ा। राकेश ने अपना दफ्तर बंद कर दिया था। उसका कोई कॉन्टैक्ट नंबर या पता भी नहीं था। छात्र छह महीने तक राकेश को तलाशते रहे। इसी दौरान पता चला कि वह पूरा धंधा ऑनलाइन चला रहा है। छात्रों ने फिर विदेश जाने के इच्छुक छात्र बनकर राकेश से ऑनलाइन संपर्क साधा। उससे ऑस्ट्रेलिया वीजा के लिए बातचीत शुरू हुई।

राकेश ने कहा कि एडमिशन के लिए 50 हजार रुपये के करीब उसके अकाउंट में जमा कराने होंगे। राकेश को विश्वास में लेने के लिए यह रकम भी उसके अकाउंट में जमा करा दी गई। छात्रों ने इससे संबंधित एक शिकायत डीएसपी खरड़ राजबलविंदर सिंह मराड़ को पहले ही दे रखी थी। छात्रों को पता चला कि राकेश के पास कनेक्ट कंपनी का इंटरनेट कनेक्शन है। फिर आईपी एड्रेस जानने के लिए कंपनी को डीएसपी की तरफ से खत लिखा गया।

शुक्रवार रात करीब डेढ़ बजे सादा कपड़ों में पुलिस के जवानों के साथ छात्र सेक्टर 70 के एक मकान में पहुंचे। यह राकेश चौहान की ससुराल थी। यहां राकेश को दबोच लिया गया। राकेश ने मटोर थाने में फोन कर दिया कि कुछ लोग अगवा करने आए हैं। रात को पुलिस ने राकेश को पड़ोसियों के भरोसे छोड़ दिया और सवेरे थाने में पेश होने को कहा। शनिवार को विंग के फेज-6 स्थित कार्यालय में दोनों पक्षों में बातचीत चलती रही। यहां मौजूद अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बार राकेश चौहान ने भागने की कोशिश भी की, लेकिन छात्रों ने दबोच लिया। इसकी जानकारी डीएसपी खरड़ को दी गई है।
 
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