dilbardeewana
VIP
तू लफ़्ज़ों की तरह मुझसे किताबों में मिला कर,
लोगों का तुझे डर हैं तो ख़्वाबों में मिला कर ..
फूल का खुशबू से तअल्लुक़ हैं ज़रूरी,
तू मेहक बन कर मुझसे गुलाबों में मिला कर ..
जिसे छू कर मैं मेहसूस कर सकूँ,
तू मस्ती की तरहा मुझसे शराबों में मिला कर ..
मैं भी इन्सान हूँ हैं डर मुझको भी बेहकने का,
इस वास्ते तू मुझसे हिजाबों में मिला कर ..
लोगों का तुझे डर हैं तो ख़्वाबों में मिला कर ..
फूल का खुशबू से तअल्लुक़ हैं ज़रूरी,
तू मेहक बन कर मुझसे गुलाबों में मिला कर ..
जिसे छू कर मैं मेहसूस कर सकूँ,
तू मस्ती की तरहा मुझसे शराबों में मिला कर ..
मैं भी इन्सान हूँ हैं डर मुझको भी बेहकने का,
इस वास्ते तू मुझसे हिजाबों में मिला कर ..