~¤Akash¤~
Prime VIP
तोड़ के मुझको वो खुद भी टूट बैठा है
मिल जाये गर कही, उसको जोड़ दूंगा मैं
मेरी प्यास पे हँसता हैं ये दरिया
ठुकरा के, इसे प्यासा छोड़ दूंगा मैं
क्यूँ इतने तू मेरे इम्तहान लेती हैं
ज़िन्दगी तुझसे डरना छोड़ दूंगा मैं
कई दिनों से वो रहता हैं बदगुमानी में
ना बोला आज भी उसको झिंझोड़ दूंगा मैं
ना हो यकीं तो कभी आजमा के देख जरा
तेरी तश्त में खुद सर को छोड़ दूंगा मैं
ढूँढ ले आप जो कभी मुझको
खोना खुद में ही छोड़ दूंगा मैं.........
मिल जाये गर कही, उसको जोड़ दूंगा मैं
मेरी प्यास पे हँसता हैं ये दरिया
ठुकरा के, इसे प्यासा छोड़ दूंगा मैं
क्यूँ इतने तू मेरे इम्तहान लेती हैं
ज़िन्दगी तुझसे डरना छोड़ दूंगा मैं
कई दिनों से वो रहता हैं बदगुमानी में
ना बोला आज भी उसको झिंझोड़ दूंगा मैं
ना हो यकीं तो कभी आजमा के देख जरा
तेरी तश्त में खुद सर को छोड़ दूंगा मैं
ढूँढ ले आप जो कभी मुझको
खोना खुद में ही छोड़ दूंगा मैं.........