क्यों 'ॐ' से शुरू होते हैं मंत्र ?

rickybadboy

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देव उपासना में तरह-तरह के मंत्र बोलें जाते हैं। लेकिन सभी मंत्रों में एक शुभ अक्षर समान रूप से बोला जाता है। वह है ॐ यानी प्रणव। वैदिक, पौराणिक या बीज मंत्रों की शुरुआत ऊँकार से होती है। असल में मंत्रों के आगे ॐ लगाने के पीछे का रहस्य धर्मशास्त्रों में मिलता है। डालते हैं इस पर एक नजर-

शास्त्रों के मुताबिक पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण है - रज, सत और तम। वहीं ॐ को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है, जो पूरी प्रकृति की रचना, स्थिति और संहार का कारण है। इस तरह इन तीनों गुणों का ईश्वर ॐ है। चूंकि भगवान गणेश भी परब्रह्म का ही स्वरूप हैं। उनके नाम का एक अर्थ गणों के ईश ही नहीं गुणों का ईश भी है।

इस कारण ॐ को प्रणवाकार गणेश की मूर्ति भी माना गया है। श्री गणेश मंगलमूर्ति होकर प्रथम पूजनीय देवता भी हैं। इसलिए ॐ यानी प्रणव को श्री गणेश का प्रत्यक्ष रूप मानकर वेदमंत्रों के आगे विशेष रूप से लगाकर उच्चारण किया जाता है। जिसमें मंत्रों के आगे श्री गणेश की प्रतिष्ठा, ध्यान और नाम जप का भाव होता है, जो पूरे संसार के लिये बहुत ही मंगलकारी, शुभ और शांति देने वाला होता है।

 


शास्त्रों के मुताबिक पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण है - रज, सत और तम। वहीं ॐ को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है, जो पूरी प्रकृति की रचना, स्थिति और संहार का कारण है। इस तरह इन तीनों गुणों का ईश्वर ॐ है। चूंकि भगवान गणेश भी परब्रह्म का ही स्वरूप हैं। उनके नाम का एक अर्थ गणों के ईश ही नहीं गुणों का ईश भी है।


Well you mentionesd shree ganesh in it. tho the Aum has nothing to do with the ganesh tattava at micro level. Tho at macro level it be holds all elements in totality but not specifically shree ganpati.
 
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