तुम भी ख़फ़ा हो लोग भी बरहम हैं दोस्तो अब हो चला यक़ीं के बुरे हम हैं दोस्तो कुछ आज शाम ही से है दिल भी बुझा-बुझा कुछ शहर के चिराग़ भी मद्धम हैं दोस्तो