बदनाम हुआ हूँ मैं, के मेरा नाम हुआ कुछ भी नहीं बस इश्क में मैं नाकाम हुआ एक डायरी मेज पे और एक सिगरेट की डिब्बी और वो कमरा ही अब जीने का सामान हुआ दर्द से ज्यादा इश्क मे और मिलता भी क्या इक जख्म था ताजा जो बस मेरे नाम हुआ..