बूँदों के सरगम पर

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
कंधों पर
सावनी अकास लिए
आज कहीं ये बादल बरसेंगे।

बरसेंगे-
खेतों में धान-पान बरसेंगे
बंजर में
हरियाली की उड़ान बरसेंगे
हाथों की मेहंदी में
पाँव के महावर में
कोमल इच्छाओं के आसमान बरसेंगे

पुरवा का
शीतल वातास लिए
प्यास तपे हर मन को परसेंगे।

तीज और कजली के
स्नेह-पत्र लाएँगे
बूँदों के सरगम पर
ये मल्हार गाएँगे
कितनी ही उज्जयिनी
कितनी अलकाओं में
घूम-घूम बिरहिन के घर-आँगन जाएँगे

संदेशे
आम और ख़ास लिए
सबको हरषाएँगे, हरषेंगे
 
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