ये कैसा महोब्बत का सफ़र देख रहा हूँ

~¤Akash¤~

Prime VIP
ये कैसा महोब्बत का सफ़र देख रहा हूँ
ना है मंजिल ना कोई राहे गुजर देख रहा हूँ

टूटेगा दिल ये इश्क में हर बार की तरह
में खुद को आजमा के मगर देख रहा हूँ

यूँ मरने का मैं इतना शौकीन तो ना था
महोब्बत का मगर खुद पे असर देख रहा हूँ

इस बार भी दुश्मन से खायी हैं गालियाँ
कुछ ऐसा शराफत का असर देख रहा हूँ

माना के अयान वो मुझे रखता हैं गैरों में
मैं उसको अपना कह के मगर देख रहा हूँ....
 
Top