ये जो थोड़े से हैं पैसे
खर्च तुम पर करूँ कैसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
अगर कहीं एक दुकान होती
जहाँ पे मिलते गगन के तारे
मैं सारे तारे खरीद लेता
तुम्हारे आँचल में टांक देता
मगर क्या करूँ मैं कि ये जानता हूँ
तारे मिलते नहीं ऐसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
अगर कहीं एक दुकान होती
जहाँ पे मिलते हसीन सपने
मैं सारे सपने खरीद लाता
तुम्हारी पलकों पे मैं सजाता
मगर क्या करूँ मैं कि ये जानता हूँ
सपने मिलते नहीं ऐसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
मैं जानता हूँ, मैं जानता हूँ
कहाँ ये पैसे कहाँ मोहब्बत
कहाँ ये ज़र्रे, कहाँ वो पर्वत
कहाँ ये कागज़ की एक नाव
कहाँ वो जज़्बात का बहाव
ये सच है मगर फिर भी मैं सोचता हूँ
खर्च तुम पर करूँ कैसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
अगर कहीं एक दुकान होती
जहाँ पे मिलते गगन के तारे
मैं सारे तारे खरीद लेता
तुम्हारे आँचल में टांक देता
मगर क्या करूँ मैं कि ये जानता हूँ
तारे मिलते नहीं ऐसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
अगर कहीं एक दुकान होती
जहाँ पे मिलते हसीन सपने
मैं सारे सपने खरीद लाता
तुम्हारी पलकों पे मैं सजाता
मगर क्या करूँ मैं कि ये जानता हूँ
सपने मिलते नहीं ऐसे
ये जो थोड़े से हैं पैसे...
मैं जानता हूँ, मैं जानता हूँ
कहाँ ये पैसे कहाँ मोहब्बत
कहाँ ये ज़र्रे, कहाँ वो पर्वत
कहाँ ये कागज़ की एक नाव
कहाँ वो जज़्बात का बहाव
ये सच है मगर फिर भी मैं सोचता हूँ