हम को रुलाया नहीं इतना।

jassmehra

(---: JaSs MeHrA :---)
कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना,
कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना;

कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी,
कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना;

क्यूँ सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें,
हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना;

कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं,
क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना;

क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने,
पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना।
 
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