वो दीवानों की वाह बन गए हे बस

~¤Akash¤~

Prime VIP
वो कभी मुझ तक पहुचेंगे नहीं,
दिल ओ की आह बन गए हे बस,

निकल जाते घर से भी तो बात थी,
नामुनासिब की चाह बन गए हे बस,

कभी महफ़िल में ग़ज़ल बनते थे,
वो दीवानों की वाह बन गए हे बस
 
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