शहरी विकास को बजट में खास तवज्जो

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बजट में शहरों के कायाकल्प की योजना को खासी अहमियत दी है।
यह पहला अवसर है कि शहरों के विकास को बजट में इतनी तवज्जो दी गई है। पिछले बजट में जहां इसके लिए 3,060 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, वहीं 2010 - 11 के आम बजट में अर्बन डिवेलपमेंट पर 5,400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

दादा ने यह भी घोषणा की कि देश भर के शहरों को पांच साल के अंदर स्लम बस्तियों से मुक्त कराने के लिए राजीव आवास योजना पूरी तरह से तैयार है। आज से आठ महीने पहले जब इस योजना का खाका खींचा गया था, तब इसके लिए केवल 150 करोड़ रुपये तय किए गए थे। अब यह योजना तैयार है और इसे अमली जामा पहनाने का समय आ गया है। लिहाजा, वित्त मंत्री ने पूरे देश के शहरों की बेहतरी के लिए बनाई गई इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए तय राशि में कई गुना की बढ़ोतरी कर बजट में इसके लिए 1,270 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

इस योजना के तहत स्लम बस्तियों का खास डिवेलपमेंट होगा और वहां रह रहे लोगों को मकान की सुविधा तो मिलेगी ही, साथ ही जिन मकानों में वे रहेंगे उनका मालिकाना हक भी उन्हें दिया जाएगा। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सीधे तौर पर इस योजना में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यही वजह है कि वित्त मंत्री के बजट में राजीव आवास योजना एक 'स्टार' योजना के पायदान पर रखी गई है।

केंद्रीय शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बढ़े हुए बजट प्रावधानों के साथ ही, राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि उनकी सक्रिय भागीदारी से योजना को साकार किया जा सके। इसके साथ ही शहरी आवास और गरीबी उन्मूलन के लिए भी बजट राशि को 850 करोड़ रुपये से बढ़ाकर अगले वित्त वर्ष के लिए 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

आवास ऋण : शहरों में लोग अपना मकान होने का सपना साकार कर सकें, इसके लिए एक प्रतिशत की मौजूदा ब्याज पर आर्थिक सहायता देने का सिलसिला मार्च 2011 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस आवास योजना के तहत दस लाख रुपये तक के हाउसिंग लोन पर एक प्रतिशत की ब्याज दर पर लोन की सुविधा है। बस शर्त यह है कि मकान की लागत 20 लाख से अधिक न हो। बजट में इस योजना के लिए 700 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है।

केंद्रीय शहरी आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय का आउटले प्लान 9,422 करोड़ रुपये का है, जो मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में 846 करोड़ ज्यादा है। शहरी विकास मंत्रालय का बजट अनुमान 7,606 करोड़ रुपये है। शहरों की परिवहन प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम पर 995 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बड़े शहरों की बढ़ती आबादी को थामने के लिए सैटलाइट शहरों और काउंटर मैगनेटिक टाउन के डिवेलपमेंट के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी से जुडे़ इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से 177 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
 
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