मेरी तन्हाईओं से अब क्या कोई मुझे बचाएगा.... मेरे हालात को देखेगा, और वो भी मुस्कुराएगा... जब भी ये दिल होगा उदास होठों पैर नाम सिर्फ़ उसी का आएगा.. जब कभी हम लेंगे तन्हाइयों में इस जिगर को थाम.. रोएँगी ये आँखें और ये दिल मुस्कुराएगा...