नम भी रोज होती हैं घुलती नहीं.......

~¤Akash¤~

Prime VIP
ज़िन्दगी एक पल भी अब तो रूकती नहीं
उम्र-ए-रफ्ता करूँ क्या मेरी थमती नहीं

रंग सब उड़ गये बादलों की तरह
धडकनें भी रवां हो के चलती नहीं

सांस ये तेरी यादों से चलती हैं अब
तेरी यादें हैं महंगी होती सस्ती नहीं

जिस्म रूह में ढल के हवा हो गया
तेरी जानिब हवाएं पर चलती नहीं

दिन भी जलता रहा कोयले की तरह
रात में आग दिल की भी बुझती नहीं

हाथ उठते नहीं आसमां की तरफ
खुदा से दुआ जा के मिलती नहीं

मेरे गाँव की मिटटी तुझे चूम लूँ
महक ऐसी दुनिया में मिलती नहीं

सूरत तो मिलती हैं उससे सदा
पर दिल की कोई बात मिलती नहीं

ज़िन्दगी हैं अयान शायद एक रात की
क्यूँ रुक के खड़ी हैं रात चलती नहीं

दिल में तो उसके बसते हैं दरिया बहुत
आँख में लेकिन नमी कोई मिलती नहीं

जाने कैसे मिटटी हैं दिल की अयान
नम भी रोज होती हैं घुलती नहीं.......
 
Top