Netaji Subhash Chandra Bose Death Mystery

jassmehra

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जब 18 अगस्त 1945 को विमान हादसा ही नहीं हुआ तो कैसे हुई बोस की मौत​

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत कैसे हुई थी, यह राज आज भी बरकरार है। कहा जाता है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को जापान में एक विमान हादसे में हुई थी। मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दिन जापान में कोई विमान हादसा ही नहीं हुआ। और हादसे वाले दिन से सप्ताह भर बाद तक जापान के किसी अस्पताल में किसी मरे व्यक्ति का शव नहीं लाया गया और न ही कोई पोस्टमार्टम हुआ। नेताजी के जीवन से जुड़ी 150 फाइलों का सच सामने आए तो इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है।

नेताजी की रहस्यमय मौत और उनकी जिंदगी के सभी राज 150 फाइलों मे कैद हैं। इसे इसलिए भी नहीं नकारा जा सकता, क्योंकि सरकार ने उनसे जुड़ी खुफिया फाइलों को आज तक सार्वजनिक नहीं किया है। तीन प्रधानमंत्रियों ने अब तक इस सच्चाई को सामने लाने के लिए जांच आयोगों का गठन किया है-1956 में नेहरू, 1970 में इंदिरा गांधी और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी. इनमें से दो-1956 की शाहनवाज कमेटी और 1974 में खोसला आयोग ने निष्कर्ष दिया कि नेताजी की मौत विमान हादसे में हुई। इनके निष्कर्षों को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 में खारिज किया था। जस्टिस (एम.के.) मुखर्जी आयोग ने कहा कि नेताजी ने अपनी मौत की झूठी कहानी बनाई और सोवियत संघ भाग गए थे। इसे 2006 में यूपीए सरकार ने खारिज किया।

क्या कहते हैं बीजेपी लीडर स्वामी
बीजेपी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी 1970 में खोसला आयोग के समक्ष श्यामलाल जैन की गवाही का हवाला देते हैं, जो नेहरू के स्टेनोग्राफर थे। जैन ने कबूला था कि उन्होंने एक पत्र टाइप किया था, जो नेहरू ने 1945 में स्टालिन को भेजा था, जिसमें वे बोस को बंधक बनाए जाने की बात स्वीकारते हैं। स्वामी का दावा है कि विमान हादसा झूठ था। नेताजी ने सोवियत संघ में शरण ली थी जहां वे कैद कर लिए गए थे। बाद में स्टालिन ने उन्हें मार दिया। बोस की बेटी अनिता समेत उनका समूचा परिवार चाहता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास मौजूद सभी रिपोर्टों को गोपनीयता के दायरे से मुक्त किया जाए। स्वामी कहते हैं कि अन्वेषण टीम बनाकर उन दस्तावेजों पर शोध होना चाहिए और सुभाष चंद्र की कहानी जनता के सामने लाई जानी चाहिए।

क्यों होती है सच सामने लाने की मांग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमय मौत 70 साल बाद भी आज देश और दुनिया के लिए पहेली बनी है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े कागजात को सार्वजनिक किए जाने की मांग सबसे पहले 1970 में देश के मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने की थी। सरकार ने इसे नहीं माना। 150 फाइलों को खुफिया फाइलें बताकर इन्हें सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया गया। भाजपा भी अपने चुनावी अभियानों में नेताजी से जुड़े रहस्यों को मुद्दा बनाती रही। दो बार सत्ता में आने के बाद भी उसने कुछ नहीं किया। कहा जाता है कि इनमें पांच ऐसी भी फाइलें हैं जिनका नाम तक नहीं बताया गया है। अब देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने दावा है कि नेताजी की मौत से जुड़ा कोई दस्तावेज सरकार के पास मौजूद नहीं है। या तो उन्हें चूहे कुतर गए हैं या वे गुम हो गए हैं।

मुखर्जी आयोग को नहीं मिले सबूत
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए गठित मुखर्जी आयोग ने कहा था कि इस तरह के विमान हादसे का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि उनका निधन विमान हादसे में हुआ। इसके साथ ही आयोग को ताइवान के किसी अस्पताल में भी जले हुए शव का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला था।

जापान के एनकोजी मंदिर में अस्थियां
ऐसा दावा किया जाता है कि नेताजी की अस्थियां जापान के एनकोजी मंदिर में रखी गई हैं। यह दावा जापान में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक बीएस देशमुख ने अहमदाबाद में एक बार किया था। वे अपने संगठन ‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेमोरियल इंडो-जापान फाउंडेशन' के बैनर तले नेताजी की अस्थियां स्वदेश लाने के लिए प्रयासरत हैं। हालांकि, कहने वाले कहते हैं कि उन अस्थियों का डीएनए टेस्ट होना चाहिए। भारत सरकार ने नेताजी की अस्थियों के बारे में आज तक न खंडन किया और न ही ये अस्थियां उनकी है ये कहा।

सरकार ने नहीं सहेजा नेताजी का रिकॉर्ड
सूचना आयुक्त श्रीधर अचार्युलू की किताब 'आरटीआई यूज एंड अब्यूज' के लॉन्च के मौके पर वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि सरकार ने नेताजी की मौत से जुड़े रिकॉर्ड को सही तरीके से नहीं सहेजा। उन्होंने कहा, ''जब प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी गए थे, तो नेताजी के कुछ रिश्तेदारों ने उनसे मिलकर मौत के रिकॉर्ड सार्वजनिक करने की बात की थी। उन्होंने सवाल उठाया कि किस वजह से सरकार दस्तावेजों का खुलासा नहीं कर रही है? इसे लेकर कई तरह की दलीलें दी जा रही हैं, क्योंकि दस्तावेज हैं ही नहीं। या तो उन्हें चूहे कुतर गए हैं, गुम हो गए हैं या बिखर गए हैं।

कैसे हुई थी नेताजी की मौत

देश की आजादी के लिए आंदोलन की अगुआई करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत 70 साल बाद भी रहस्य बनी हुई है। बताया जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक हवाई हादसे में नेताजी की मौत हुई थी। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन आयोग बनाए गए, लेकिन सच अब तक सामने नहीं आया। दूसरी ओर ताइवान सरकार ने अपने रिकॉर्ड के आधार पर खुलासा किया था कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा ही नहीं हुआ था।

क्या 'गुमनामी बाबा' ही थे नेताजी?

नेताजी की मौत की मिस्ट्री पर किताब लिख चुके 'मिशन नेताजी' के अनुज धर ने दावा किया था, ''आजाद हिन्द फौज से जुड़े कई लोग यह दावा कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में रहने वाले 'गुमनामी बाबा' ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे और वह गुप्त रूप से नेताजी से मिला करते थे। अनुज धर ने भी अपनी किताब 'इंडिया'ज बिगेस्ट कवर-अप' में कई गोपनीय दस्तावेज और फोटोज के हवाले से दावा किया था कि नेताजी 1985 तक जीवित थे।

किसी को नहीं था भरोसा

नेताजी की मौत की ख़बर का यकीन न तब ब्रिटिश सरकार को हुआ और न आज़ादी के बाद भारत की सरकारों को। ऐसा इसलिए क्योंकि नेताजी के ज़िंदा होने की बात समय-समय पर सामने आती रहीं। दुर्भाग्य से भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भी सच जानने की कोशिश नहीं की। नेता जी की पत्नी एमिली शेंकल ने हमेशा विमान हादसे की थ्योरी को खारिज किया। नेताजी के परिवार ने भी इसे नहीं माना। बाद में कुछ और लोगों ने पड़ताल की तो पता चला कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा ही नहीं हुआ था।
 
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