~¤Akash¤~
Prime VIP
मौसम -ए -हिज्र में ये बारिश का बरसना कैसा !
एक सेहरा से समुन्दर का गुज़ारना कैसा ?
ऐ मेरे दिल न परेशान हो तन्हा हो कर !
वो तेरे साथ चला कब था , तो बिछड़ना कैसा ?
लोग कहते हैं गुलशन की तबाही देखो !
मैं तो वीरान सा जंगल था , उजड़ना कैसा ?
देखने में तो कोई दर्द नहीं दुःख भी नहीं !
फिर ये आँखों में यूँ अश्कों का उभरना कैसा ?
बेवफा कहने की जुर्रत भी न करना लोगो !
उसने इकरार किया कब था , मुकरना कैसा ?.
एक सेहरा से समुन्दर का गुज़ारना कैसा ?
ऐ मेरे दिल न परेशान हो तन्हा हो कर !
वो तेरे साथ चला कब था , तो बिछड़ना कैसा ?
लोग कहते हैं गुलशन की तबाही देखो !
मैं तो वीरान सा जंगल था , उजड़ना कैसा ?
देखने में तो कोई दर्द नहीं दुःख भी नहीं !
फिर ये आँखों में यूँ अश्कों का उभरना कैसा ?
बेवफा कहने की जुर्रत भी न करना लोगो !
उसने इकरार किया कब था , मुकरना कैसा ?.