"सम्बन्धों को, अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी हर विवश आँख के आँसू को यूँ ही हँस हँस पीना होगा मै कवि हूँ, जब तक पीड़ा है, तब तक मुझको जीना होगा...!" Dr. Kumar Vishwash