मैं घर लौटा

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
मैं घर लौटा
बहुत मैं घूमा पर्वत-पर्वत
नदी घाट पर खूब नहाया
और पिया तीरथ का पानी
आग नहीं मन की बुझ पाई।
बहुत नवाया मैंने माथा
मन्दिर और मज़ारों पर भी
खोज न पाया अपने मन का
चैन ज़रा भी।
 
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