कुछ तो कह कर

कुछ तो कह कर जाती के शायद बात बन जाती गर मैं भी चुप ना रहता तो कहानी पूरी हो जाती कुछ कहना था शायद उसको हर बार ही लेकिन रुक जाती मांगता रह हर पल मैं उसको काश के मेरी बन जाती लगता है कोई मजबूरी थी यूँ रुसवा कर के ना जाती कलम [...]
 
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