ShivaniPrakash
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चाँद नाराज है हमसे ..
हमने भी तो उसे कही का ना छोड़ा..
कभी महबूब तो कभी महबूबा बना दिया....
और जब चाँद अपना ना हुआ तो बच्चो का मामा बना दिया
चाँद खुद से खफा उदास सोचता .. स्त्रीलिंग या पुलिंग हूँ मै
कभी मेरे थोडा सा दिखने पे खुश होते है और कभी पूरा निकलता हूँ तो सब आहे भर के देखते है
कभी मेरी खूबसूरती की तारीफ़ तो कभी मेरे चेहरे के दाग को याद दिलाया तुम सब ने
कभी ये न सोचा की इस सुंदर चेहरे पे दाग भी तेरे लिए ही सजाया मैंने
हमने भी तो उसे कही का ना छोड़ा..
कभी महबूब तो कभी महबूबा बना दिया....
और जब चाँद अपना ना हुआ तो बच्चो का मामा बना दिया
चाँद खुद से खफा उदास सोचता .. स्त्रीलिंग या पुलिंग हूँ मै
कभी मेरे थोडा सा दिखने पे खुश होते है और कभी पूरा निकलता हूँ तो सब आहे भर के देखते है
कभी मेरी खूबसूरती की तारीफ़ तो कभी मेरे चेहरे के दाग को याद दिलाया तुम सब ने
कभी ये न सोचा की इस सुंदर चेहरे पे दाग भी तेरे लिए ही सजाया मैंने