एक नए दर्द का आग़ाज़ तो बन सकती है

~¤Akash¤~

Prime VIP
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
उसी के बारे में सोचो, तो फ़ासिला निकले

दाग़ ओ मोमिन को बहोत तुमने पढा है मक़सूद
अपनी ग़ज़लों में जो लफ़्ज़ों के गोहर आये हैं

तेरी नज़रो को मोहब्बत की तमन्ना न सही
तेरी नज़रें मेरी हमराज़ तो बन सकती है

चार दिन के लिए तकलीफ-ऐ-मुरव्वत कर के
एक नए दर्द का आग़ाज़ तो बन सकती है
 
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