~¤Akash¤~
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पत्थर नहीं है मेरा दिल दर्द हमें भी होता है
तेरी मह’फ़िल में हंस’ता है चेह’रा तन्हाई में रोता है
जाना, कैसी होती है वो तक’लीफ़ अप’ना कोई जब खोता है
कोई किसी के अप’नों में था शामिल अब गैर किसी का होता है
लेकर हमारा चैन-सुकून मासूम बेवफ़ा सोता है
बोझ बन गयी है अब ये ज़िंदगी बेबस हो जान जिस्म को ढोता है -
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तेरी मह’फ़िल में हंस’ता है चेह’रा तन्हाई में रोता है
जाना, कैसी होती है वो तक’लीफ़ अप’ना कोई जब खोता है
कोई किसी के अप’नों में था शामिल अब गैर किसी का होता है
लेकर हमारा चैन-सुकून मासूम बेवफ़ा सोता है
बोझ बन गयी है अब ये ज़िंदगी बेबस हो जान जिस्म को ढोता है -
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