चिराग रौशन तो कर दिए तूने अँधेरा मिटाने को

चिराग रौशन तो कर दिए तूने अँधेरा मिटाने को,
पर साया चिराग का बाकी है मूंह चिढ़ाने को,

यूं ही नहीं ख़त्म हुआ करते सिलसिले मुहब्बत के,
अभी तो पूरी दास्तान पड़ी है सुनाने को,

मेरे रोने पर चुटकिआं लेकर हसने वाले,
संभल जा के वक़्त आ गया है तुझे भी रुलाने को ,

करके मुहब्बत मुझसे, मुझपर एहसान न कर,
जी नहीं मानेगा मेरा, फिर से बदल जाने को,

कब तक छुपेगी ये बेवफाई आंसुओं के नकाब में,
अब तो इस मंज़र को भी बेपर्दा हो जाने दो,

किस कदर से खून बहा है "क़ातिल'' का इश्क़ में,
दिल चीर के दिखाऊँ तो ज़रा इस ज़माने को...


 
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