शायद अरविँद केजरीवाल की कल्पना करके ही कभी गालिब ने लिखा था-
*"ये बंद कराने आये थे तबायफो के कोठे . . . . .*
*मगर सिक्को की खनक देखकर खुद ही नाच बैठे"।*????????
*"ये बंद कराने आये थे तबायफो के कोठे . . . . .*
*मगर सिक्को की खनक देखकर खुद ही नाच बैठे"।*????????