आए थे एक वक्त खाने को, मिली मौत

कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़ के बाद 12 साल की किशोरी अपनी मां और दो चाचियों से बिछड़ गई। वह पांच घंटे तक उन्हें ढूंढती र
ही, लेकिन कुछ पता नहीं चला। अब उसे आने वाले कल का पता नहीं। ये लोग उन हजारों लोगों की भीड़ का हिस्सा थे जो एक वक्त का खाना खाने आए थे। बेहद गरीबी की जिंदगी गुजार रहे इन लोगों को यहां स्टील की एक थाली, 10 रुपये, एक लड्डू और एक रुमाल भी मिलना था। इन लोगों को ये सारी चीजें कृपालु महाराज के आश्रम में उनकी पत्नी के श्राद्ध पर हर साल दी जाती हैं। हालांकि पुलिस का दावा है कि इस साल जैसी भीड़ पहले कभी नहीं उमड़ी थी और इसी कारण भगदड़ मची।

घटनास्थल पर चप्पलों का ढेर यह बताने के लिए काफी है कि कितनी तादाद में लोग इस हादसे का शिकार हुए और वह मंजर कितना दर्दनाक रहा होगा।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आश्रम तक महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग लाइन थी, लेकिन भीड़ के दबाव की वजह से सुबह करीब 09:30 बजे आश्रम का गेट टूट गया और आश्रम कर्मी भीड़ को पीछे धकेलने लगे। इस कारण महिलाएं डर गईं और वह अपने बच्चों को समेटते हुए दौड़ीं जिससे भगदड़ मच गई। स्थानीय लोगों का दावा है कि उस दौरान कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। हालांकि इलाहाबाद रेंज के आईजी पुलिस चंद्र प्रकाश का कहना है कि यह हर साल होने वाला समारोह था और इसे देखते हुए पर्याप्त तादाद में पुलिस बल लगाया गया था लेकिन भीड़ उम्मीद से काफी ज्यादा जुटी।

भगदड़ के बाद पुलिस ने आश्रम को घेर लिया है। लेकिन अपने प्रियजनों से बिछड़े लोग उन्हें तलाशने के लिए या उनके बारे में कोई जानकारी पाने की आश लिए आश्रम के बाहर देखे गए। लेकिन हर बीतता क्षण उनकी उम्मीदों पर तुषारापात कर रहा था। हालांकि जिला प्रशासन का दावा है कि उसने मृतकों की लिस्ट जारी की है, लेकिन लोगों का कहना है कि वह लिस्ट उन तक नहीं पहुंची है। पीड़ितों के गुस्साए परिजनों का कहना है कि उन्हें अपने प्रियजनों को देखने तक नहीं दिया गया। घटना के तुरंत बाद आश्रम के सभी दरवाजे बंद कर दिए गए। पता नहीं वे क्या छुपा रहे थे?
 
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