rajivsrivastava
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वर्मा जी ऑफीस के आका चले है इनकी धोश
पर इनके घर मैं तो बीवी ही इनकी बॉस
ऑफीस मैं ये रोब जमाते गरज-गरज चिल्लाते
फ़ोन जब बीवी का आए तो चुप हो जाते
एक दिन भरी मीटिंग मैं आ रहा इन्हे पसीना
तब पता चले की मेडम ने इनका मुस्किल किया है जीना
म्न मैं हो रही उथल -पूथल सोचा की पता लगाउ
जो शेर गरजे है ऑफीस मैं वो क्यो करता है मियाऊ
जा पहुँचा बॉस के घर और घंटी बजाई
अंदर से कोई चिल्लाया 'कोन खड़ा है भाई
मेरी भी सास रुक गयी और पाओ लगे थे हिलने
सोच रहा था आयी सामत जो बॉस से आया मिलने
पर जुटा के सारी हिम्मत फिर दरवाज़ा खटखटाया
फिर कोई ज़ोर से बोला देखो कों है आया
दरवाजा खुला तो सामने खड़े थे मेरे सर
मुझे पहुँचा देख स्शायद वो गये थे डर
बोले कैसे हो क्यो आए क्या हो गयी बात
अगर ज़रूरी ना हो तो ऑफीस मैं करो मुलाकात
मैं भी पूरा सोच के आया के ना आऊंगा बाज
तभी पलायन करूँगा जब जानूँगा इनका राज
कहा सर जी ना कोई बात ना कोई फरियाद
बस आप से मिलने को जी है चाहा जब आप की आई याद
बाते कर के यहा -वाहा की मैं बना रहा था राय
तभी मेडम अंदर से बोली"गर धो लिए हो कपड़े तो बना लो चाय"
बॉस मेरे सकपकाये यहा -वाहा थे झाखे
उनक्की ऐसी हालत देख की खिल गयी मेरी बाँछे
सोचा हम पर रोब जमाए खूब खेले खेल
ऑफीस मैं तो पास हो गये घर मैं तो है फेल
ऑफीस मैं रहे टिप-टॉप घर मैं पहने कपड़े मैला
सोच रहा था की देखो नहले-को मिल गया दहला
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा