मुझ को यह दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मैं

~¤Akash¤~

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अपने दिल को दोनों आलम से उठा सकता हूँ मैं
क्या समझती हो कि तुमको भी भुला सकता हूँ मैं

दिल मैं तुम पैदा करो पहले मेरी सी जुर्रतें
और फिर देखो कि तुमको क्या बना सकता हूँ मैं

दफ़न कर सकता हूँ सीने मैं तुम्हारे राज़ को
और तुम चाहो तो अफसाना बना सकता हूँ मैं

तुम समझती हो कि हैं परदे बहुत से दरमियाँ
मैं यह कहता हूँ कि हर पर्दा उठा सकता हूँ मैं

तुम कि बन सकती हो हर महफ़िल मैं फिरदौस-ए-नज़र
मुझ को यह दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मैं
 

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
Re: मुझ को यह दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मै&#23

:wah Bahut Khoob :wah
 
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